
प्रभु यीशु के जन्मदिन के मौके पर भारत समेत पूरी दुनिया में क्रिसमस पर्व धूमधाम से मनाया जात है। 24 दिसंब की रात से ही ‘हैप्पी क्रिसमस-मेरी क्रिसमस’ से बधाइयों का सिलसिला जारी हो जाता है। ‘क्रिसमस ट्री’ सजाना, सांता दूसरों को उपहार देकर जीवन में सुख हासिल करने का संदेश देते हैं।
गोवा में भारत के सबसे बड़े चर्च सी कैथेड्रल में क्रिसमस के मौके पर खास आयोजन किये जाते हैं। वेटिकन सिटी में मिडनाइट इसका आयोजन होता। इसके लिये हजारों लोग चर्च में एकत्रित होकर प्रार्थना करते हैं पोप जीसस की मूर्ति को चूमकर सभी से अपने संदेश में लोगों को उनकी सादगी अपनाने की अपील करते हैं, बता दे कि क्रिसमस ईसाई धर्म का सबसे बड़ा त्योहार है। यह पर्व प्रभु यीशु के जन्म उत्सव के रूप में 25 से 31 दिसंबर तक मनाया जाता है, जो 24 दिसंबर की मध्यरात्रि से ही आरंभ हो जाता है।
क्रिसमस शब्द का जन्म क्राईस्टेस माइसे अथवा क्राइस्टस् मास शब्द से हुआ माना जाता है।
24 दिसंबर की रात से ही नवयुवकों की टोली जिन्हें कैरल्स कहा जाता है, यीशु मसीह के जन्म से संबंधित गीतों को प्रत्येक मसीही के घर में जाकर गाते हैं। इसी रात को गिरिजाघरों में प्रभु यीशु के जन्म से संबंधित झांकियां भी सजाई जाती है। इस अवसर पर ईसाई धर्मावलंबी बड़ी संख्या में गिरजाघरों में एकत्रित होकर एक-दूसरे को प्रभु के जन्म की बधाई देते हैं।
25 दिसंबर की सुबह गिरजाघरों में विशेष आराधना होती है, जिसे क्रिसमस सर्विस कहा जाता है। इस आराधना में ईसाई धर्मगुरु यीशु के जीवन से संबंधित प्रवचन कहते हैं। आराधना के बाद सभी लोग एक-दूसरे को क्रिसमस की बधाई देते ह

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