
भारत के लौह पुरुष कहलाएं जाने वाले सरदार वल्लभ भाई पटेल की 143 वीं जयंती के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनकी 182 मीटर ऊंची प्रतिमा 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' का 31 अक्टूबर को अनावरण किया। अपनी ऊंचाई के कारण यह प्रतिमा अब दुनिया की सबसे ऊंची स्टैच्यू बन गई है। इससे पहले ये खिताब चीन के स्प्रिंग टेंपल में स्थापित 153 मीटर की बुद्ध की मूर्ति के नाम था। यह प्रतिमा नर्मदा नदी पर सरदार सरोवर बांध से 3.5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस स्टैच्यू को न सिर्फ देश के गौरव से जोड़कर देखा जा रहा है बल्कि इसे पर्यटन के लिहाज से भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है, आइए जानते है 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' से जुड़ी मुख्य बातें।
250 इंजीनियर, 3,400 मजदूरों और चार साल में बनी इस प्रतिमा को बनाने वाली कंपनी लर्सन एंड टर्बो और राज्य सरकार के सरदार सरोवर नर्मदा निगम लिमिटेड ने 250 इंजीनियर, 3,400 मजदूरों की मदद से चार साल में निर्माण कराया। प्रतिमा के निर्माण के लिए भारत ही नहीं चीन के भी शिल्पियों की लेनी पड़ी मदद।
ताजमहल से 7 गुना महंगी टिकट पर्यटन के लिहाज से इस विशालकाय मूर्ति को रेवेन्यू का बड़ा स्त्रोत माना जा रहा है। दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति होने के वजह से माना जा रहा है कि देश-विदेश से लोग इसे देखने आएंगे। यहां पर्यटकों के ठहरने के लिए भी विशेष व्यवस्था की गई है। जहां दुनिया की खूबसूरत इमारतों में से एक ताज महल के लिए आम लोगों को 50 रुपये देने पड़ते हैं तो वहीं सरदार पटेल को देखने के लिए 350 रुपए देने पड़ेंगे।
1700 टन है वजन
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का कुल वजन 1700 टन है और ऊंचाई 522 फिट यानी 182 मीटर है। स्टेच्यू में सरदार वल्लभ भाई के पैर की ऊंचाई 80 फिट, हाथ की ऊंचाई 70 फिट, कंधे की ऊंचाई 140 फीट और चेहरे की ऊंचाई 70 फी
पद्म भूषण मूर्तिकार ने बनवाई ये मूर्ति इस मूर्ति का निर्माण 92 वर्षीय राम वी. सुतार की देखरेख में हुआ है। देश-विदेश में अपनी शिल्पकला का लोहा मनवाने वाले राम वी. सुतार को साल 2016 में सरकार ने पद्म भूषण से सम्मानित हो चुके हैं। इससे पहले वर्ष 1999 में उन्हें पद्मश्री भी प्रदान किया जा चुका है। वह इन दिनों मुंबई के समुंदर में लगने वाली शिवाजी की प्रतिमा की डिजाइन भी तैयार करने में जुटे हैं।
स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी से दोगुनी ऊंची चीन स्थित स्प्रिंग टेंपल की 153 मीटर ऊंची बुद्ध प्रतिमा के नाम अब तक सबसे ऊंची मूर्ति होने का रिकॉर्ड था। मगर सरदार वल्लभ भाई पटेल की प्रतिमा ने अब चीन में स्थापित इस मूर्ति को दूसरे स्थान पर छोड़ दिया है। आप जानकर हैरानी होगी कि 182 मीटर ऊंचे स्टैच्यू ऑफ यूनिटी अमेरिका की 93 मीटर ऊंचे स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी से दोगुनी ऊंची मूर्ति है।
33 माह में बनकर हो गई तैयार 182 मीटर ऊंचे 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' को बनाने वाली कंपनी का दावा किया कि स्टैच्यू ऑफ यूनिटी विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा है और महज 33 माह के रिकॉर्ड कम समय में बनकर तैयार हुई है। बकि स्प्रिंग टेंपल के बुद्ध की मूर्ति के निर्माण में 11 साल का वक्त लगा था।
2,989 करोड़ रुपये का खर्च सरदार पटेल की इस मूर्ति को बनाने में करीब 2,989 करोड़ रुपये का खर्च आया। कंपनी के मुताबिक, कांसे की परत चढ़ाने के आशिंक कार्य को छोड़ कर बाकी पूरा निर्माण देश में ही किया गया है। यह प्रतिमा नर्मदा नदी पर सरदार सरोवर बांध से 3.5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
कैसे पहुंचे 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' तक इस स्टैच्यू तक पहुंचने के लिए फिलहाल एयरपोर्ट और रेल लाइन के लिए वडोदरा सबसे नजदीक है। यह केवड़िया से 89 किमी दूर है। यहां से आप सड़कमार्ग के जरिए केवड़िया पहुंच सकते हैं। इसके अलावा भरूच भी नजदीक रेलवे स्टेशन है। अगर आप अहमदाबाद से आएंगे तो आपको 200 किमी की दूरी तय करनी होगी। इसके अलावा साबरमती रीवरफ्रंट से पंचमुली लेक तक सीप्लेन सेवा चलाए जाने की योजना है।
Source by boldsky
250 इंजीनियर, 3,400 मजदूरों और चार साल में बनी इस प्रतिमा को बनाने वाली कंपनी लर्सन एंड टर्बो और राज्य सरकार के सरदार सरोवर नर्मदा निगम लिमिटेड ने 250 इंजीनियर, 3,400 मजदूरों की मदद से चार साल में निर्माण कराया। प्रतिमा के निर्माण के लिए भारत ही नहीं चीन के भी शिल्पियों की लेनी पड़ी मदद।
ताजमहल से 7 गुना महंगी टिकट पर्यटन के लिहाज से इस विशालकाय मूर्ति को रेवेन्यू का बड़ा स्त्रोत माना जा रहा है। दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति होने के वजह से माना जा रहा है कि देश-विदेश से लोग इसे देखने आएंगे। यहां पर्यटकों के ठहरने के लिए भी विशेष व्यवस्था की गई है। जहां दुनिया की खूबसूरत इमारतों में से एक ताज महल के लिए आम लोगों को 50 रुपये देने पड़ते हैं तो वहीं सरदार पटेल को देखने के लिए 350 रुपए देने पड़ेंगे।
1700 टन है वजन
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का कुल वजन 1700 टन है और ऊंचाई 522 फिट यानी 182 मीटर है। स्टेच्यू में सरदार वल्लभ भाई के पैर की ऊंचाई 80 फिट, हाथ की ऊंचाई 70 फिट, कंधे की ऊंचाई 140 फीट और चेहरे की ऊंचाई 70 फी
पद्म भूषण मूर्तिकार ने बनवाई ये मूर्ति इस मूर्ति का निर्माण 92 वर्षीय राम वी. सुतार की देखरेख में हुआ है। देश-विदेश में अपनी शिल्पकला का लोहा मनवाने वाले राम वी. सुतार को साल 2016 में सरकार ने पद्म भूषण से सम्मानित हो चुके हैं। इससे पहले वर्ष 1999 में उन्हें पद्मश्री भी प्रदान किया जा चुका है। वह इन दिनों मुंबई के समुंदर में लगने वाली शिवाजी की प्रतिमा की डिजाइन भी तैयार करने में जुटे हैं।
33 माह में बनकर हो गई तैयार 182 मीटर ऊंचे 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' को बनाने वाली कंपनी का दावा किया कि स्टैच्यू ऑफ यूनिटी विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा है और महज 33 माह के रिकॉर्ड कम समय में बनकर तैयार हुई है। बकि स्प्रिंग टेंपल के बुद्ध की मूर्ति के निर्माण में 11 साल का वक्त लगा था।
2,989 करोड़ रुपये का खर्च सरदार पटेल की इस मूर्ति को बनाने में करीब 2,989 करोड़ रुपये का खर्च आया। कंपनी के मुताबिक, कांसे की परत चढ़ाने के आशिंक कार्य को छोड़ कर बाकी पूरा निर्माण देश में ही किया गया है। यह प्रतिमा नर्मदा नदी पर सरदार सरोवर बांध से 3.5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
कैसे पहुंचे 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' तक इस स्टैच्यू तक पहुंचने के लिए फिलहाल एयरपोर्ट और रेल लाइन के लिए वडोदरा सबसे नजदीक है। यह केवड़िया से 89 किमी दूर है। यहां से आप सड़कमार्ग के जरिए केवड़िया पहुंच सकते हैं। इसके अलावा भरूच भी नजदीक रेलवे स्टेशन है। अगर आप अहमदाबाद से आएंगे तो आपको 200 किमी की दूरी तय करनी होगी। इसके अलावा साबरमती रीवरफ्रंट से पंचमुली लेक तक सीप्लेन सेवा चलाए जाने की योजना है।
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