
चुंबक में दो बातें होती हैं। एक तो लोहा जो दिखता है और दूसरी उसके आसपास का मैग्नेटिक फील्ड जो नजर नहीं आता। इस बात को जीवन में आने वाली समस्याओं से जोड़कर देखें। समस्याएं तो जीवन में बनी ही रहेंगी। एक मिटाएंगे, दूसरी आ जाएगी। चलिए, देखते हैं जब समस्या आए तो स्थिति क्या बनती है और उससे कैसे निपटा जाए? समस्या के दौर में हमारे साथ तीन बातें होंगी।
एक, हम परेशान होते हैं। दो, भयभीत हो जाते हैं और तीन, अपने आपको अकेला महसूस करने लगते हैं, इसीलिए दूसरे का सहारा ढूंढ़ते हैं। तीनों ही स्थितियों में या तो हम उलझ जाते हैं या अवसाद में डूबकर कोई आत्मघाती कदम उठा लेने की सोचते हैं। तो जब भी समस्या आए, दो काम कीजिए। पहले तो समस्या से थोड़ा दूर हटें। यहां हटने का मतलब भागना नहीं बल्कि भूलना है। थोड़ी देर के लिए भूल जाइए कि आप किसी बड़ी समस्या से परेशान हैं। जैसे ट्रैफिक में चलते हुए दूसरों को निकलने की जगह देते हैं तो इसका मतलब यह नहीं होता कि हमने चलना बंद कर दिया। वहां जब हटते और रुकते हैं तो वह हमारे चलने का ही भाव होता है। ऐसे ही समस्या के समय थोड़ा अलग हट जाएं और उसे दूर से देखें। दूसरा काम करें जब समस्याग्रस्त हों तो दूसरों की मदद के लिए आगे आएं। इससे हमारे भीतर की ऊर्जा अन्य लोगों की ओर बहने लगती है और हम थोड़ा अपने आप से हटते हैं।
ऐसे में भीतर यह भाव जागेगा कि अपनी समस्या नहीं भी निपट रही हो तो दूसरों की मदद तो कर रहे हैं। धीरे-धीरे आप उनके लिए मूल्यवान होने लगेंगे और जब दूसरों के लिए मूल्यवान होंगे तो अपने लिए कीमती हो जाएंगे। कीमती होने का मतलब है आत्मबल से सराबोर होना। तो जब भी समस्या आए, ये दो काम करके देखिए, आसानी से पार पा जाएंगे।


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