
सर्दियाँ आने को थीं और चिंकी चिड़िया का
घोंसला पुराना हो चुका था। उसने सोचा चलो एक नया घोंसला बनाते हैं ताकि
ठण्ड के दिनों में कोई दिक्कत न हो।
अगली सुबह वो उठी और पास के एक खेत से
चुन-चुन कर तिनके लाने लगी। सुबह से शाम तक वो इसी काम में लगी और अंततः एक
शानदार घोंसला तैयार कर लिया। पर पुराने घोंसले से अत्यधिक लगाव होने के
कारण उसने सोचा चलो आज एक आखिरी रात उसी में सो लेते हैं और कल से नए
घोंसले में अपना आशियाना बनायेंगे। रात में चिंकी चिड़िया वहीँ सो गयी।
अगली सुबह वो उठी और पास के एक खेत से
चुन-चुन कर तिनके लाने लगी। सुबह से शाम तक वो इसी काम में लगी और अंततः एक
शानदार घोंसला तैयार कर लिया। पर पुराने घोंसले से अत्यधिक लगाव होने के
कारण उसने सोचा चलो आज एक आखिरी रात उसी में सो लेते हैं और कल से नए
घोंसले में अपना आशियाना बनायेंगे। रात में चिंकी चिड़िया वहीँ सो गयी।
अगली सुबह उठते ही वो अपने नए घोंसले की
तरफ उड़ी, पर जैसे ही वो वहां पहुंची उसकी आँखें फटी की फटी रही गयीं; किसी
और चिड़िया ने उसका घोंसला तहस-नहस कर दिया था। चिंकी की आँखें भर आयीं, वो
मायूस हो गयी, आखिर उसने बड़े मेहनत और लगन से अपना घोंसला बनाया था और किसी
ने रातों-रात उसे तबाह कर दिया था।
पर अगले ही पल कुछ अजीब हुआ, उसने गहरी
सांस ली, हल्का सा मुस्कुराई और एक बार फिर उस खेत से जाकर तिनके चुनने
लगी। उस दिन की तरह आज भी उसने सुबह से शाम तक मेहनत की और एक बार फिर एक
नया और बेहतर घोंसला तैयार कर लिया।
जब हमारी मेहनत पर पानी फिर जाता है तो हम
क्या करते हैं – शिकायत करते हैं, दुनिया से इसका रोना रोते हैं, लोगों
को कोसते हैं और अपनी frustration निकालने के लिए न जाने क्या-क्या करते
हैं पर हम एक चीज नहीं करते – हम फ़ौरन उस बिगड़े हुए काम को दुबारा सही करने
का प्रयास नहीं करते। और चिंकी चिड़िया की ये छोटी सी कहानी हमें ठीक यही
करने की सीख देती है।
घोंसला उजड़ जाने के बाद वो चाहती तो अपनी
सारी उर्जा औरों से लड़ने, शिकायत करने और बदला लेने का सोचने में लगा देती।
पर उसने ऐसा नहीं किया, बल्कि उसी उर्जा से फिर से एक नया घोंसला तैयार कर
लिया।
दोस्तों, जब हमारे साथ कुछ बहुत बुरा हो
तो हम न्याय पाने का प्रयास ज़रुरु करें, पर साथ ही ध्यान रखें कि कहीं हम
अपनी सारी energy; frustration, गुस्से और शिकायत में ही न गँवा दें। ऐसा
करना हमें हमारे original loss से कहीं ज्यादा नुक्सान पहुंचा सकता है। और
मैं तो ये भी कहूँगा कि अगर कोई बहुत बड़ी बात न हुई हो तो उसे अनदेखा करते
हुए अपने काम में पुन: लग जाएं। क्योंकि बड़े काम करने के लिए ये ज़िन्दगी
छोटी है, इसे बेकार की चीजों में नहीं गंवाया जाना चाहिए।

Post a Comment