
माईक्रोफिक्शन कहानी
स्वरूप अंग्रेजी में लंबे समय से चला आ रहा,प्रचलित और अनोखा स्वरूप हैं।अंग्रेजी में
उसे फ्लेश फिक्शन भी कहते हैं।
विकिपीडिया के मुताबिक
बहुत ही कम शब्दो में कही जानेवाली कहानी का प्रकार हैं।जिसमे उसकी लंबाई के बारे में
कोई स्पष्ट नियम नहीं हैं। ज्यादा से ज्यादा ३०० शब्दो में लीखी जानेवाली कहानी को
माईक्रोफिक्शन वार्ता(कहानी) कहते हैं।चीन में उसे ‘स्मोकींग लोंग’ कहते हैं, मतलब
की आपकी सिगारेट खत्म होने से पहले जो कहानी पढ़ सके।कई लोग ईसे ‘पाम साईज’ कहानी भी
कहते हैं।ईसमें रूढ़ीगत कहानी के जैसे ही यहाँ भी कहानी के एक से ज्यादा तत्व मौजुद
होते हैं,चमत्कृति,पाठक के मन को हिला देनेवाला अंत,कम शब्दो में काफी कुछ समज सके
ऎसा विवेचन आदि माईक्रोफिक्शन के एक से ज्यादा तत्व हो सकते हैं।
अंग्रेजी के प्रसिध्ध
माईक्रोफिक्शन लेखक डेविड गेफ की खुद की पोस्ट में कहते हैं कि,माईक्रोफिक्शन कहानी
में आपको पात्र के द्रश्य खड़ा करने की कोईभी जगह नहीं मिलेगी,एक से ज्यादा पात्रो
की,उसके नाम को या फिर उसे विकसित करने की जरुरत तभी पडेगी जब आप कहानी के मुख्य हेतु
को बल दे रहे हो,लेकिन यह भी याद रखीए की कहानी का अंत उसके अंतिम वाक्य में ही न आए,पूरी
कहानी सिर्फ अंत के लिए ही न लिखी गई हो उसका भी ध्यान रखना होता हैं।क्योंकि यहाँ
आप ऎसा भयस्थान खड़ा कर रहे हो की पाठक कहानी पढ़ रहा हो तभी कहानी के साथ सेतु साध
और तुरंत ही उसे तोड़ सके। पाठक पहले शब्दो से ही कहानी के साथ जुड़ जाना चाहिए और
अंतिम शब्द के बाद वह कहानी के साथ नये सिरे से जुड़ जाना चाहिए।
जिसे हम क्लाईमेक्स
कहते हैं वह कहानी की पूर्णता के दो वाक्य पहले आने चाहिए।जिससे बाकी रही कहानी पढ़े
तब कहानी के पात्रो ने लिए निर्णय के साथ पाठक संमत और असंमत हो सके ऐसा अवसर पाठक
को मिलना चाहिए।कहानी का अंतिम वाक्य ऐसा होना चाहिए जो पाठक को कहानी प्रवाह के हो
सके, उनके अनेक विकल्पो की तरफ सोचता कर दे या फिर वह वाक्य पात्रो ने लिया हुआ निर्णय
के बारे में पाठक को फिर से सोचता कर दे या फिर पाठक को कहानी फिर से पढ़ने और नया
द्रष्टीकोण पाने में मदद कर सके।अंतिम वाक्य पूरी माईक्रोफिक्शन कहानी को पाठक के मानस
पर गूंजती कर सके ऐसा होना चाहिए।
माईक्रोफिक्शन खुद
एक कहानी होने के बावजुद उसमें एक लघुकथा बनने की क्षमता होनी चाहिए।क्योकी तभी लिखी
गई बात का हार्द पा सकेगी।ईसके लिए लंबाई से लिखने से शुरु कर उसे छोटी बनाने की कोशिष
रहनी चाहिए। यह कहानी प्रकार आपको खुद के सर्जन के लिए एडीटर बनने का अवसर प्रदान करता
हैं।
शब्दो का चुनाव फ्लेशफिक्शन
का सबसे महत्वपूर्ण पहलू हैं। महतम जरूरतवाले लघुतम शब्द मेरे मतानुसार फ्लेशफिक्शन
की अनॅटमि हैं। एक पतले से ताने पर शब्दो के मोती रखकर माला बनानी हैं,मोती महत्वपूर्ण
होने चाहिए,कम होने चाहिए और सुंदरता से गूंथे होने चाहिए।
माईक्रोफिक्शन में
देखा गया हैं कि,उसका मूलभूत हार्द पाठक को कहानीप्रवाह के साथ ले जाता हो तब जिस दिशा
में पाठक सोचता हो उससे विपरीत दिशा में जाता होना चाहिए,सामान्यतः कल्पना ना की जा
सके ऐसी होनी चाहिए। ऐसा करने से पाठक को कहानी में ज्यादा रस मग्न किया जा सकेगा।
और अंत में…. कहानी
के सर्जन में कई सलाह सूचन हो सकते हैं,लेकिन हरेक सर्जन खुद में एक अनूठे रूपमें जन्म
लेता हैं,ईसीलिए ही मूलभूत सर्जनात्मक्ता में कोई बंधन आते नहीं।आप जानते हैं, विश्व
की सबसे छोटी माईक्रोफिक्शन कहानी सिर्फ १७ शब्दो की ही थी? फिर भी वह कई स्पंदन- भाव
जगा सकती हैं? वह कहानी हैं,फ्रेडरीक ब्राउन की ‘नॉक’ जो दिसम्बर १९४८ में प्रसिध्ध
हुई थी…. वह हैं….
‘The last man on Earth sat alone in a room. There was a
knock on the door.’
अब
थोमस ब्रेडली एड्रीच की यह बात देखीए जिसके आधार पर उपर्युक्त बात लिखी गई…
Imagine all human beings swept off the face of the earth,
excepting one man. Imagine this man in some vast city, New York or London.
Imagine him on the third or fourth day of his solitude sitting in a house and
hearing a ring at the door-bell!
ईस
तरह सर्जन में बहुत ही सरल दिखनेवाला भी ज्यादा से ज्यादा सोच माँग लेनेवाला और कठीन
कहानी स्वरूप…..यानी माईक्रोफिक्शन । जो वर्णन करने हेतु लेखक अपनी नवलकथा में कई पन्ने
भर देता हैं वहीं आधे वाक्य में समाविष्ट करने का उद्देश्य यहाँ पर होता हैं।जो नवलक्था
में मुश्कील हैं वही माईक्रोफिक्शन की खुबी हैं।
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नये
लेखक मित्रो के लिए e-gyan.tk ने एक नये अंदाज के लेखक बनने का मौका दिया हैं ,कि वह
अपनी माईक्रोफिक्शन कहानी यहाँ भेज कर एक अच्छे लेखक के रूप में सामने आ सकते हैं।
अब पाईए छोटे से
लेकर बड़े लेखक और लेखिका बनने का मौका । आप हमें लिख भेजीए माईक्रोफिक्शन स्टोरी।
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करेंगे. तो देर किस बात
की???? लिख भेजीए...और
बन जाईए लेखक-लेखिका....



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