
हनुमानजी की पूजा से ही नहीं, बल्कि उनसे कुछ बातें सीख लेने पर भी
हमारी परेशानियां दूर हो सकती हैं और सभी कामों में सफलता मिल सकती है।
यहां जानिए हनुमानजी से हम कौन-कौन सी बातें सीख सकते हैं...
1. संघर्ष क्षमता
हनुमानजी
जब सीता की खोज में समुद्र पार कर रहे थे, तब उन्हें कई समस्याओं का सामना
करना पड़ा। सुरसा और सिंहिका नाम की राक्षसियों ने हनुमानजी को समुद्र पार
करने से रोकना चाहा था, लेकिन बजरंग बली नहीं रुके और लंका पहुंच गए। हमें
भी कदम-कदम पर ऐसे ही संघर्षों का सामना करना पड़ता है। संघर्षों से न
डरते हुए अपने लक्ष्य की ओर बढ़ने की सीख हनुमानजी से लेनी चाहिए।
चतुराई
हनुमानजी ने समुद्र पार करते समय सुरसा से लड़ने में समय नहीं गंवाया। सुरसा हनुमान को खाना चाहती थी। उस समय हनुमानजी ने अपनी चतुराई से पहले अपने शरीर का आकार बढ़ाया और अचानक छोटा रूप कर लिया। छोटा रूप करने के बाद हनुमानजी सुरसा के मुंह में प्रवेश करके वापस बाहर आ गए। हनुमानजी की इस चतुराई से सुरसा प्रसन्न हो गई और रास्ता छोड़ दिया। चतुराई की यह कला हम हनुमानजी से सीख सकते हैं।
हनुमानजी ने समुद्र पार करते समय सुरसा से लड़ने में समय नहीं गंवाया। सुरसा हनुमान को खाना चाहती थी। उस समय हनुमानजी ने अपनी चतुराई से पहले अपने शरीर का आकार बढ़ाया और अचानक छोटा रूप कर लिया। छोटा रूप करने के बाद हनुमानजी सुरसा के मुंह में प्रवेश करके वापस बाहर आ गए। हनुमानजी की इस चतुराई से सुरसा प्रसन्न हो गई और रास्ता छोड़ दिया। चतुराई की यह कला हम हनुमानजी से सीख सकते हैं।
संयमित जीवन
हनुमानजी आजीवन ब्रह्मचारी रहे यानी उनका जीवन संयमित था। संयमपूर्वक रहने के कारण ही वे बहुत ताकतवर थे। हमारे जीवन में खान-पान और रहन-सहन सबकुछ असंयमित हो रहा है। असंयमित दिनचर्या के कारण गंभीर रोगों का डर लगा रहता है। संयम के साथ कैसा रहना चाहिए, ये बात हम हनुमानजी से सीख सकते हैं। आज जो लोग विवाहित हैं, वे भी अपने खान-पान और रहन-सहन में सावधानी रखेंगे तो उन्हें भी श्रेष्ठ स्वास्थ्य मिल सकता है।
हनुमानजी आजीवन ब्रह्मचारी रहे यानी उनका जीवन संयमित था। संयमपूर्वक रहने के कारण ही वे बहुत ताकतवर थे। हमारे जीवन में खान-पान और रहन-सहन सबकुछ असंयमित हो रहा है। असंयमित दिनचर्या के कारण गंभीर रोगों का डर लगा रहता है। संयम के साथ कैसा रहना चाहिए, ये बात हम हनुमानजी से सीख सकते हैं। आज जो लोग विवाहित हैं, वे भी अपने खान-पान और रहन-सहन में सावधानी रखेंगे तो उन्हें भी श्रेष्ठ स्वास्थ्य मिल सकता है।
लोक-कल्याण
हनुमानजी का अवतार ही श्रीराम के काम के लिए हुआ था। श्रीराम का काम यानी रावण का अंत करके तीनों लोकों का सुखी करना। हनुमानजी ने श्रीराम का साथ दिया। हमें भी हनुमानजी से यह प्रेरणा लेनी चाहिए कि जो लोग अच्छा और समाज सेवा का काम करते हैं, उनका साथ दें।
हनुमानजी का अवतार ही श्रीराम के काम के लिए हुआ था। श्रीराम का काम यानी रावण का अंत करके तीनों लोकों का सुखी करना। हनुमानजी ने श्रीराम का साथ दिया। हमें भी हनुमानजी से यह प्रेरणा लेनी चाहिए कि जो लोग अच्छा और समाज सेवा का काम करते हैं, उनका साथ दें।
Source from bhaskar.com


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