
अगर
आपको जीवन में थोड़ी प्रेरणा की तलाश है, तो ह्यूमंस ऑफ बॉम्बे फेसबुक पेज
आपके लिए मददगार साबित हो सकता है। इस पन्ने पर मशहूर भरतनाट्यम डांसर एवं
अभिनेत्री सुधा चंद्रन ने अपने जीवन से जुड़ी एक बेहद ही प्रेरणादायी
कहानी साझा की है। इसमें उन्होंने बताया है कि एक हादसे में अपने पैर
गंवाने के बाद कैसे उन्होंने दोबारा स्टेज पर नाटक और नृत्य करना शुरू
किया।
अपने पोस्ट में 51 वर्षीय चंद्रन ने नृत्य पर प्रति अपने जुनून को बयान किया है और साथ ही बताया कि कैसे एक हादसे ने उनकी जिंदगी और कला को लेकर संजोये उनके सपने को झकझोर कर रख दिया।
सड़क हादसे में अपने पैर गंवाने के बाद के जद्दोजहद को बयां करते हुए चंद्रन लिखती हैं कि वह अक्सर लोगों को यह कहते सुनती थी, 'कितने दुख की बात है तुम्हारा सपना पूरा नहीं हो पाएगा या हमारी इच्छा थी कि तुम डांस कर सको।' वह लिखती है, 'पैर गंवाने के बाद मैंने 'जयपुर फुट' की मदद से दोबारा चलना और फिर उसके बाद डांस करना सीखा, जो कि मैं अपनी पूरी जिंदगी जानती थी। '
वह लिखती हैं, 'मैंने साढ़े तीन साल की उम्र में डांस करना सीखा था। मैं स्कूल के बाद डांस सीखने जाती और वहां से रात साढ़े नौ बजे लौटती थी। यही मेरी जिंदगी थी।' इसके साथ ही वह बताती है कि त्रिची में बस से सफर के दौरान हुए एक भयानक हादसे ने उनकी जिंदगी ही बदल कर रख दी। हालांकि इसके बाद उन्होंने दोबारा डांस करना सीखा और जब उन्होंने कृत्रिम पैरों के साथ स्टेज पर पहली पर डांस किया तो लोगों की प्रतिक्रिया प्रेरणादायी थी। इसके बाद उन्होंने एक फिल्म 'मयूरी' में भी काम किया, जो कि उनके ही जीवन पर आधारित थी। इसके फिल्म के लिए उन्हें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया।
अपने पोस्ट में 51 वर्षीय चंद्रन ने नृत्य पर प्रति अपने जुनून को बयान किया है और साथ ही बताया कि कैसे एक हादसे ने उनकी जिंदगी और कला को लेकर संजोये उनके सपने को झकझोर कर रख दिया।
सड़क हादसे में अपने पैर गंवाने के बाद के जद्दोजहद को बयां करते हुए चंद्रन लिखती हैं कि वह अक्सर लोगों को यह कहते सुनती थी, 'कितने दुख की बात है तुम्हारा सपना पूरा नहीं हो पाएगा या हमारी इच्छा थी कि तुम डांस कर सको।' वह लिखती है, 'पैर गंवाने के बाद मैंने 'जयपुर फुट' की मदद से दोबारा चलना और फिर उसके बाद डांस करना सीखा, जो कि मैं अपनी पूरी जिंदगी जानती थी। '
वह लिखती हैं, 'मैंने साढ़े तीन साल की उम्र में डांस करना सीखा था। मैं स्कूल के बाद डांस सीखने जाती और वहां से रात साढ़े नौ बजे लौटती थी। यही मेरी जिंदगी थी।' इसके साथ ही वह बताती है कि त्रिची में बस से सफर के दौरान हुए एक भयानक हादसे ने उनकी जिंदगी ही बदल कर रख दी। हालांकि इसके बाद उन्होंने दोबारा डांस करना सीखा और जब उन्होंने कृत्रिम पैरों के साथ स्टेज पर पहली पर डांस किया तो लोगों की प्रतिक्रिया प्रेरणादायी थी। इसके बाद उन्होंने एक फिल्म 'मयूरी' में भी काम किया, जो कि उनके ही जीवन पर आधारित थी। इसके फिल्म के लिए उन्हें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया।


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