
जीव विज्ञान के एक अध्यापक अपने छात्रों को पढ़ा रहे थे कि सूँड़ी तितली में कैसे बदल जाती है। उन्होंने छात्रों को बताया कि कुछ ही घंटों में तितली अपनी खोल से बाहर निकलने की कोशिश करेगी। उन्होंने छात्रों को आगाह किया कि वे खोल से बाहर निकलने में मदद न करें। इतना कह क रवह कक्षा से बाहर चले गए।
छात्र इंतजार करते रहे। तितली खोल से बाहर निकलने के लिए संघर्ष करने लगी। छात्र को उस पर दया आ गई। अपने अध्यापक की सलाह न मान कर उसने खोल से बाहर निकलने की कोशिश कर रही तितली की मदद करने का फ़ैसला किया। उसने खोल को तोड़ दिया, जिसकी वजह से तितली को बाहर निकलने क लिए और मेहनत नहीं करनी पड़ी। लेकिन थोड़ी ही देर में मर गई।
वापस लौटने पर शिक्षक को सारी घटना मालूम हुई। तब उन्होंने छात्रों को बताया कि खोल से बाहर आने के लिए तितली को जो संघर्ष करना पड़ता है, उसी की वजह से उसके पंखों को मज़बूती और शक्ति मिलती है। यही प्रकृति का नियम है। तितली की मदद करके छात्र ने उसे संघर्ष करने का मौका नहीं दिया। नतीजा यह हुआ कि वह मर गई।
दोस्तों, हमें अपनी ज़िंदगी पर यही नियम लागू करना चाहिए। हम जिंदगी में कोई भी कीमती चीज़ संघर्ष के बिना नहीं हासिल कर सकते। आज-कल के माँ-बाप अपने बच्चों को शक्ति हासिल करने के लिए संघर्ष करने का मौका नहीं देते। इस तरह वे जिन्हें सबसे अधिक चाहते हैं उन्हीं को नुक़सान पहुँचा बैठते हैं।


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