
महान दार्शनिक सुकरात से एक बार एक युवक मिला। उसने सफलता पाने का उपाय पूछा। सुकरात ने उसे अगले दिन आने के लिए कहा। अगले दिन युवक ने फिर से वही सवाल पूछा तो सुकरात ने उसे फिर से अगले दिन आने को कहा।
कई महीने बीत जाने के बाद भी लड़का रोज आता और सुकरात उसे अगले दिन आने को टाल देते। एक दिन लड़के ने कहा कि, 'मैं रोज इतनी दूर से यहां आने से अच्छा मै आपके आंगन में ही बैठ जाता हूं। सुबह, दोपहर,शाम, रात, दिन में बार-बार मुझे देखकर आपका दिल जरूर पिघलेगा।'
सुकरात ने लड़के के तरफ ध्यान नही दिया परंतु वह मन ही मन खुश जरूर थे। रात में सुकरात ने लड़के से अगले दिन सुबह सफलता का रहस्य बताने का वादा किया। अगली सुबह सुकरात लड़के को लेकर नदी किनारे गए।
सुकरात ने लड़को को नदी किनारे लाकर कहा कि तुम नदी में डुबकी लगाओं फिर मै तुम्हें सफलता पाने का तरीका बताता हूं। लड़के ने जैसे ही डुबकी लगाया सुकरात ने उसका सिर पकडकर पानी में दबा दिया।
लड़का छटपटाने लगा। सुकरात ने उसे फिर से डुबकी लगाने के लिए कहा जैसे ही लड़का अंदर गया सुकरात ने फिर उसका सिर दबा दिया। एक बार सुकरात उसे निकलने नही दे रहा था। लड़का बहुत जोर से छटपटाने लगा।
सुकरात के छोड़ते ही लड़का बाहर निकला । सुकरात ने कहा तुम सफलता के लिए इसी तरह छटपटाओगे जिस तरह हवा के लिए छटपटा रहे थे, मानो उसके बिना मर जाओगे, तो सफलता हर हाल में तुम्हारे कदमों में होगी।
संक्षेप में
सफलता का कोई शार्टकट नहीं होता, सफलता के लिए कठिन परिश्रम करना पड़ता है। अगर आप ये करते हैं तो सफलता आपको जरूर मिलता है।

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