0



युनान के डिमास्थनीज बोलने में न केवल तुतलाते थे, बल्कि हकलाते भी थे। एक दिन वह अपने शहर की सभा में एक प्रसिद्ध वक्ता का भाषण सुनकर वह बहुत प्रभावित हुए और उन्होंने मन ही मन अच्छा वक्ता बनने का संकल्प लिया।

वह जानते थे कि उनकी तुतलाहट और हकलाहट करियर के रास्ते में परेशानी खड़ी करेंगे। लेकिन उन्हें यह बात भी मालूम थी कि कठिन परिश्रम और नियमित साधना से ही इस कठिन परेशानी पर विजय हासिल करना संभव है।

बस, फिर क्या था उसने नित्य नियमित रूप से भाषण देने का अभ्यास करना शुरु कर दिया। वह समुद्र की तट पर जाते और लहरों को श्रोताओं का समूह मानकर जोर-जोर से भाषण करते।

यह भले ही नाटकीय लगता हो, लोग देखते हों लेकिन वह अपनी नियमित साधना में तत्पर जुड़े रहते थे। नियमित रूप से किया गया परिश्रम और अभ्यास ऐसा रंग लाया कि वह थोड़े दिनों में ही प्रसिद्ध वक्ता बन गए।

संक्षेप में

अभ्यास करते रहने से कठिन से कठिन काम भी आसान हो जाते हैं इसलिए कोई भी काम करें उसका अभ्यास जरूर करते रहें।








आपको पोस्ट पसंद आई हो तो Youtube पर क्लिक करके Subscribe करना ना भूलें

आपको पोस्ट कैसी लगी कोमेन्ट और शॅर करें

Post a Comment

 
Top