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किसी देश में वसु सेन नाम का एक राजा राज करता था। वो एक पुरुषार्थी और चक्रवर्ती सम्राट था। लेकिन उनके राज ज्योतिषी ने उनका मस्तिष्क ज्योतिष की ओर मोड़ रखा था।

राजा बिना मुहूर्त देखे कोई भी काम नहीं करते थे। एक दिन वसु सेन अपने देश के दौरे पर निकले, रास्ते में उन्हें एक किसान मिला जो हल-बैल लेकर खेत जोतने जा रहा था।

राज् ज्योतिषी ने उसे रोककर कहा, 'तुम जिस दिशा की तरफ जा रहे हो उससे तुम्हें हानि होगी।' राज ज्योतिषी ने ऐसा इसलिए कहा कि क्यों कि वह राजा के सामने अपना ज्ञान बताना चाह रहा था।

किसान ने कहा, 'में बिल्कुल इसी तरह खेत पर जाता हूं। यदि ऐसा होता तो मुझे रोज ही हानि होती।'

राज ज्योतिषी ने कहा,' तो तुम अपना हाथ बताओ।' किसान नाराज हो गया वह बोला, 'मैं अपना हाथ किसी के सामने क्यों फैलाऊं मेहनत मजूरी करता हूं। मुहूर्त और हस्तरेखा तो वो देखते हैं जो कर्महीन और निठल्ले होते हैं। मुझे तो कर्म और कर्मफल पर जरा भी शंका नहीं है।

यह सुनकर राज ज्योतिषी के पास कोई जवाब नहीं था। लेकिन राजा वसु सेन समझ गए कि कर्मफल से श्रेष्ठ कुछ भी नहीं है। तब वह जान गया कि दुनिया का सबसे बड़ा फल 'कर्मफल' है।








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